गुरमेहर कौर: ‘अभिव्यक्ति’ पर भक्तों के शिकंजा कसने और हम इज्ज़तदारों के खामोश रहने की संस्कृति

"पहले वो दामिनी के लिये आये
मैं चुप रहा क्योंकि मैं रेप पीड़िता नहीं था
फिर वो अख़लाक के लिये आये
मैं चुप रहा क्योंकि मैं मुसलमान नहीं था
फिर वो रोहित के लिये आये
तब भी मैं चुप था क्योंकि मैं दलित नहीं था
फिर वो कन्हैया के लिये आये
तब भी मैं चुप रह क्योंकि मैं वामपंथी नहीं था
फिर वो गुरमेहर के लिये आये
तब भी मैं चुप रहा क्योंकि मैं लड़की न था
फिर वो मेरे लिये आये
लेकिन तब तक मेरे लिये बोलने वाला कोई बचा ही नहीं था।।"


जी हाँ, आज यही हो रहा है हमारे देश में, गौमांस के नाम पर हत्यायें हो
रही हैं, प्रमोशन के लिये "फेक एन्काउंटर" किये जा रहे हैं, नज़ीब गायब है
और उस पर सवाल उठाने वालों को "देशद्रोही" ठहराकर उनको सरेआम मारापीटा
जाता है और अगर सवाल करने वाली कोई लड़की हुई तो उसे रण्डी(बरखा दत्त
प्रकरण) और न जाने क्या-क्या कहकर उसका रेप करने की धमकी दी जा रही है।
और इसी कड़ी में देशभक्त-रूपी  भेड़ियों नें गुरमेहर कौर को अपना शिकार बनाया है।
जी हाँ, ये वहीं गुरमेहर DU की स्टूडेंट  हैं जिन्होंने ABVP के गुण्डों
की गुण्डागर्दी का विरोध करते हुये फेसबुक पर पोस्ट किया कि वो ABVP के
गुण्डों से नहीं डरती हैं और वो अकेली नहीं हैं, पूरे देश के स्टूडेंट
उनके साथ हैं। ये मामला ज्यादा आगे न बढ़ता अगर क्रिकेटर विरेंद्र सहवाग
इसमें न कूदे होते। दरअसल, सहवाग ने गुरमेहर की 9 माह पुरानी विडियो
(जिसमें गुरमेहर दोनों देशों से शान्ति की अपील करती नज़र आ रही हैं) की
Photoshoped Parody बनाकर ट्विटर पर पोस्ट कर दिया, बस फिर क्या था,
देशभक्त गुरमेहर पर भूखे भेड़ियों की तरह टूट पड़े, उसकी काफ़ी लानत-मलानत
करते हुये उसे विभत्स तरीके से रेप करने की धमकी तक दे डाली। देश के नामी
पहलवान योगेश्वर दत्त ने तो कौर की तुलना आश्चर्यजनक रूप से दाऊद
इब्राहिम और हाफ़िज़ सईद से कर डाली। और हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल
विज(ये वहीं विज हैं जिन्होंने मोदी को बापू से बड़ा आइकॉन बताया था) ने
तो एक कदम और आगे बढ़ते हुये गुरमेहर के समर्थकों कों  Pro-Pakistani कहा
और उन्हें पाकिस्तान भेजने की धमकी दी है। इन सबसे इन भगवा-चड्ढीधारियों
की मानसिकता स्पष्ट हो ही गयी कि "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" इनकी जबानी
लफ़्फ़ाजी के अलावा कुछ न था।असल में ये पढ़ी-लिखी बेटियों को, जो कि  इनसे
अलग विचार रखती हों(भले ही Trolls हद दर्ज़े के बददिमाग हों) ,उनका रेप
करके उनकी ज़बान बन्द करवा देते हैं। वास्तव में ये नये ज़माने के
याज्ञवल्क्य हैं जो न जाने कितनी गार्गियों के सिर फोड़ चुके हैं।
इन्हें ये बिल्कुल सहन नहीं होता कि इनसे उच्च मानसिक स्तर की लड़की इनसे
कोई सवाल करे और कामयाब लड़कियों को तर्कों से न हरा पाने पर ये भक्त
उन्हें Slut रण्डी(बरखा दत्त प्रकरण) और न जाने क्या-क्या कहके अपनी उसी
15वीं शताब्दी कालीन मानसिकता को संतुष्ट करते हैं जो कि शूद्र, पशु और
नारी को आज भी ताड़ना का अधिकारी ही समझती है। ऐसे वर्ग के भक्तों का सबसे
प्रिय जामा है "राष्ट्रभक्ति" , जब-जब जनता इनसे बिजली, पानी, स्वास्थ्य
सुविधाओं से सम्बन्धित सवाल पूछती है तब-तब ये "देशभक्ति" व
"भारत माता की जय" का शिगूफा छोड़कर मूलभूत समस्याओं कों अनन्त में उड़ा
देते हैं,  और हमारी पब्लिक भी "देशप्रेम की अफ़ीम" खाये होती है, जिसके
नशे में हमें सब कुछ केवल देशप्रेम और देशद्रोह के सांचे में ही नज़र आता
है और हमारी बिजली, पानी और शिक्षा-स्वास्थ्य की समस्यायें जस की तस बनी
रहती हैं और हम चोरी-छिपे 30-40 सैनिकों को मारकर देशभक्ति की चादर तानें
सो जाते हैं।
         गुरमेहर कौर अपने Silent Video में दर्शाती हैं कि उनके डैड को
पाकिस्तान ने नहीं बल्कि युद्ध ने मारा है यानि कि युद्ध से किसी का भी
भला नहीं होता है, इससे केवल नफ़रत ही बढ़ती है। दरअसल, "देशप्रेम की भाँग"
घोटकर  हम यह देख ही नहीं पाते हैं कि युद्ध से फायदा केवल War Industry
का ही होता है।(जान लीजिए कि विश्व भर में हथियार आयातित करने के मामले
में हमारा मुल्क पहले नम्बर पर है)
    नोबेल शान्ति पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी कहते हैं कि "अगर
दुनिया के सभी मुल्क केवल चार दिनों के लिये आपसी युद्ध, युद्ध के
अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग बन्द कर दें और केवल चार दिनो तक समूचे विश्व
में शान्ति रहे तो, इससे इतनी बचत होगी जितना कि दुनियाभर से भूखमरी को
मिटाया जा सके।"
गौरतलब है कि उनकी  ऐसी बातों पर तो "भक्तों के साहिब", "100 Million for
100Million"
की शुरुआत करते हैं, मगर जब गुरमेहर यहीं बात कहती  हैं तो उसे पाकिस्तान
का हिमायती ठहराकर, गद्दार बताया जा रहा है और उन्हें रेप करने की धमकी
दी जा रही है।
          अगर एक तरह से देखें तो इन देशभक्तों की नीयत में ही खोंट है
क्योंकि जिन सैनिकों को त्याग और देशप्रेम की प्रतिमूर्ति मानकर ये भक्त
उनका ऊलूक-यशोगान करते हैं, अगर उन्हीं सैनिकों में से कोई अपनी असुविधा
का जिक्र कर देता है तो ये स्वयंभू-देशभक्त उसे गद्दार और मानसिक रोगी
ठहराने में एक पल नहीं लगाते हैं।(तेज बहादुर यादव प्रकरण)

    वास्तव में ये धर्म, जाति, देश , परम्परायें तो चोंचले हैं, जिनकी
वजह से सदियों से पुरूषों ने स्त्रियों को सामाजिक, आर्थिक , शारीरिक और
मानसिक रूप से बँधुआ बनाया हुआ है।
अगर मार्क्स के शब्दों में कहूँ तो "औरतों तुम्हारा कोई मुल्क नहीं है,
अत: दुनियाभर की औरतें एक हो जाओ और संघर्ष करो-पुरूषसत्तात्मक सत्ता और
दुनियावी परम्पराओं के प्रति, क्योंकि  तुम्हारे पास खोने के लिये कुछ
नहीं है लेकिन जीतने के लिये पूरा विश्व पड़ा है।"

         बहरहाल, आप भी अपने आज़ाद लबों से स्वयंभूओं से बिना डरे सवाल
करिये , क्योंकि अगर आप चुप रह गये तो अगला अख़लाक, रोहित, नज़ीब ,सोनी
सूरी या  गुरमेहर कौर आप में से कोई हो सकता है......॥॥

"फूँक के घर को देखने वाले, फूस का छप्पर आपका है
उसके ऊपर तेज़ हवा है, आगे मुकद्दर आपका है
उसके कतल पर मैं चुप था,मेरा नम्बर अब आया
मेरे कतल पर आप भी चुप हैं, अगला नम्बर आपका है ।"

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